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जानिए आखिर कैसे गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड में शामिल किया जाता है मुख्य अतिथि का नाम ?

जानिए आखिर कैसे गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड में शामिल किया जाता है मुख्य अतिथि का नाम

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का त्यौहार खूब ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और बात करें इस गणतंत्र दिवस की तो यह 74 वां गणतंत्र दिवस रहा जिसमें पहली बार भारत के अंदर इजिप्ट की सेना ने 26 जनवरी की मार्च में हिस्सा लिया।

हम सब में से एक बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि गणतंत्र दिवस के लिए चीफ गेस्ट का चुनाव किस तरह किया जाता है हालांकि इस बार गणतंत्र दिवस पर सब ने यह आस लगाई थी कि किसी अफ्रीकी देश के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मुख्य अतिथि बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ इस बार मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल्सीसी मुख्य अतिथि बने इतना ही नहीं इजिप्ट की सेना ने भी दिल्ली स्थित कर्तव्य पथ पर कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देल फत्ताह ऑल खारा सारी के नेतृत्व में मार्च में शामिल हुई।

पूरी दुनिया की नजरें होती है दिल्ली में होने वाली परेड पर

यह दिन बेहद ही खास होता है जब राजधानी दिल्ली में परेड होने वाली होती है तो हर भारतीय ही नहीं दुनिया भर में बेसब्री से इंतजार होता है। क्योंकि गणतंत्र दिवस के खास दिन पर काफी गौर विचार से ही किसी चीफ गेस्ट को चुना जाता है।

जानिए कैसे होता है मुख्य अतिथि का चुनाव

दरअसल मुख्य अतिथि का चुनाव विदेश मंत्रालय करता है यह जानना बेहद खास होता है कि कौन सा वह देश है जिसकी जानी-मानी हस्ती को मुख्य अतिथि बना कर गणतंत्र दिवस पर बुलाया जाए इस कार्य को विदेश मंत्रालय बेहद सोच विचार कर करता है जब विदेश मंत्रालय द्वारा मुख्य अतिथि को बुलाने का निर्णय हो जाता है तब इसमें काफी सारी बातों को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को लिया जाता है जिसमें सबसे पहले अगर वह अतिथि कोई राष्ट्रपति बनता है तो उससे हमारे देश के साथ मेल मिलाप यानी संबंध कैसे हैं।
जिसके बाद अतिथि के नाम को लेकर हमारे देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय भवन से स्वीकृति ली जाती है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद ही संबंधित देश के साथ संपर्क करके चीफ गेस्ट को निमंत्रण भेजा जाता है।

हालांकि इस बार भारत में मिस्र के राष्ट्रपति को मुख्य अतिथि के रूप में चुना

मिस्र के राष्ट्रपति को चुनना इस बात के लिए इशारा देता है कि इस्लामिक देशों के संगठन मैं मित्र आतंकवाद और कट्टरता के लिए भारत की तरफ से एक बड़ी आवाज बन सकता है और लगभग 4000 से भी ज्यादा भारतीय मित्र में रहते हैं हालांकि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनामी बन चुके हिंदुस्तान ने कर्ज में डूबे मिश्र को शायद इसीलिए चुना।

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